गर्मी की छुट्टियों में जब बड़ी मुश्किल से पिट पिटाने के बाद अगर नींद लग गई तो घर वालो का वापस उठाना मुश्किल होता था
कितना प्यारा नींद का बिछोना था कोई फ़िक्र नहीं की कब उठना है।
कभी कभी तो सीधे सुबह ही उठते थे आज कहां ऐसी बेफिक्री है छुट्टी भी हो तो भी वो नींद नहीं आ सकती
आज अपने बच्चे को सोता देख फिर वही नींद का बिछोना याद आया तो सोचा आप सभी को याद दिलाएं हम सभी का प्यारा बचपन हम अपने बच्चो में वापस जी सकते हैं।
बच्चों को खेलने दे दौड़ने दे उन्हें मस्ती करने दे और उनके साथ खेलते कूदते अपना बचपन भी छू ले।
जब तू दौड़े कूदे सारे घर में, मानो जैसे आफ़त आयी है
फिर सोचू मुस्कुराकर मैं भी, तू मेरी ही तो परछाई है।।
बहुत खूब अभिषेक☺️🙏
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